Moksha Marg Ek Adhyayan Syaadavaad 2017 (PDF)

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TBD00012 | 2017 | Rajesh Kumar Jain

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Author: Rajesh Kumar Jain

TBD00012 | PDF | 2017 | Rajesh Kumar Jain

Jainism prescribes 5 moral principles to be observed by all the Members of the society. These are called Pancha(Anu) Vrathas, five vows; Ahimsa , Satya , Astheya or non-stealing, Brahmacharya and Aparigraha.

प्रिय पाठकों,
नौ वर्ष पहले मैने अपने जीवन में आध्यात्म का पौधा लगाया और ज्ञान, ध्यान, तप से सींचा अब वह पौधा एक विशाल पेड बन गया है। पेड पर नाना प्रकार के फल, फूल एंव पत्ते लदे हुए हैं। मैने फलों को मन भर कर चखा है अब आपकी बारी है।
“मोक्ष मार्ग एक अध्ययन” “”अब स्यादवाद की सुनो कहानी””
पिछले नौ सालों में मुझे जो भी ज्ञान प्राप्त हुआ उसे संक्षिप्त एंव सरल भाषा में लिख दिया है। घर्म प्रभावना वश प्रत्येक व्यक्ति तक पहुँचाने की इच्छा है ताकि जो घर्म लाभ मुझे मिला वह सब को मिल सके। मेरे लिए “मोक्ष मार्ग एक अध्ययन” एक डिस्कवरी है, शोध है।
राजेश कुमार जैन, मुरादाबाद।
पंचम काल मे गृहस्थ जीवन व्यतीत करते हुए चारो पुरूषार्थ अर्थात अर्थ, धर्म, काम, एंव मोक्ष को प्राप्त करने का सच्चा मार्ग दिखाया गया हैं। अणुव्रत, दश लक्षण धर्म, सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान, सम्यकचारित्र, 16 भावनाऎं, समाधिमरण का चित्रण सरल भाषा में किया हैं। “मोक्ष मार्ग एक अध्ययन” सम्पूर्ण आध्यात्मिक ग्रंथ हैं इसमे 18 मोती अर्थात मंगलाचरण, अणुव्रत, दश लक्षण धर्म, सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान, सम्यकचारित्र,16 भावनाऎं, समाधिमरण, जिनवाणी की स्तुति, ग्यारह प्रतिमाऐं, स्यादवाद, गुणस्थान, 24 तीर्थंकरो के नाम, चिन्ह, जाप मंत्र, जन्म स्थान, संयमासंयम 2014-2015-2016, मिथ्यात्व, नव रस, बह्मर्चय की नव वाड एंव श्रावक प्रतिक्रमण हैं!
“मोक्ष मार्ग एक अध्ययन” को लिखने का आधार निम्लिखित शास्त्र जी हैं।
• समयसार, श्री कुन्द-कुन्द आचार्य, कविवर बनारसी दास ।
• तत्वार्थ सूत्र, श्रीमद उमास्वामि विरचित।
• रत्नकरण्ड श्रावकाचार, आचार्य श्री समन्तभद्र, पधानुवादकर्त्री श्री ज्ञानमति माताजी।
• चोबीसी पुराण, आचार्य श्री समन्तभद्र, कविवर पं श्री पन्नालाल जी।
• पद्म पुराण, आचार्य श्री रविषेण, कविवर पं दौलत राम जी।

Mangalam Bhagavan viro, mangalam gautami gani,
Mangalam kundakundadya jaina dharmostu mangalam.

Step by Step Solution to convert your Soul into Permatma(God)through principles of Jainism.
Jainism prescribes 5 moral principles to be observed by all the Members of the society. These are called Pancha(Anu) Vrathas, five vows; Ahimsa , Satya , Astheya or non-stealing, Brahmacharya and Aparigraha.

Author:

Rajesh Kumar Jain

ISBN:

TBD00012

Publishers:

Rajesh Kumar Jain

Format:

PDF

Year of Publication:

2017

Edition:

Third

Condition:

New

Language:

Hindi

Country of Origin:

India

About the Author

Rajesh Kumar Jain has written seven ebooks in both Hindi and English which have been read by an audience of over 1,80,000 people in 189 countries. His books have also been extremely popular on social media. He is 58 years and has worked for over 39 years in the position of General Manager. He has also conducted research on Butyl tubes for tyres, VN3+Si69 usage in truck tyre thread compound and Moksha Marg in Pancham Cal among other projects.

Rajesh Kumar Jain is an ex member of the Indian Tyre Technical Advisory Sub Committee and the Institute of Engineers India, Calcutta. He can be contacted via his website www.mokshamargstudy and www.mokshamarg.wordpress.com. He can also be contacted by email at [email protected] or [email protected].

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