Ret Samadhi (Hindi)

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9789387462250 | Paperback | 376 | 2022 | Rajkamal Prakashan

Ret Samadhi by Geetanjali Shree tells the story of an octogenarian woman who having recently lost her husband goes to Pakistan to confront her trauma.

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Author: Geetanjali Shree

9789387462250 | PB | pp. 376 | 2022 | Hindi | Rajkamal Prakashan

Ret Samadhi by Geetanjali Shree tells the story of an octogenarian woman who having recently lost her husband goes to Pakistan to confront her trauma.

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अस्सी की होने चली दादी ने विधवा होकर परिवार से पीठ कर खटिया पकड़ ली। परिवार उसे वापस अपने बीच खींचने में लगा। प्रेम, वैर, आपसी नोकझोंक में खदबदाता संयुक्त परिवार। दादी बजि़द कि अब नहीं उठूँगी। फिर इन्हीं शब्दों की ध्वनि बदलकर हो जाती है अब तो नई ही उठूँगी। दादी उठती है। बिलकुल नई। नया बचपन, नई जवानी, सामाजिक वर्जनाओं-निषेधों से मुक्त, नए रिश्तों और नए तेवरों में पूर्ण स्वच्छन्द। हर साधारण औरत में छिपी एक असाधारण स्त्री की महागाथा तो है ही रेत-समाधि, संयुक्त परिवार की तत्कालीन स्थिति, देश के हालात और सामान्य मानवीय नियति का विलक्षण चित्रण भी है। और है एक अमर प्रेम प्रसंग व रोज़ी जैसा अविस्मरणीय चरित्र। कथा लेखन की एक नयी छटा है इस उपन्यास में। इसकी कथा, इसका कालक्रम, इसकी संवेदना, इसका कहन, सब अपने निराले अन्दाज़ में चलते हैं। हमारी चिर-परिचित हदों-सरहदों को नकारते लाँघते। जाना-पहचाना भी बिलकुल अनोखा और नया है यहाँ। इसका संसार परिचित भी है और जादुई भी, दोनों के अन्तर को मिटाता। काल भी यहाँ अपनी निरंतरता में आता है। हर होना विगत के होनों को समेटे रहता है, और हर क्षण सुषुप्त सदियाँ। मसलन, वाघा बार्डर पर हर शाम होनेवाले आक्रामक हिन्दुस्तानी और पाकिस्तानी राष्ट्रवादी प्रदर्शन में ध्वनित होते हैं ‘कत्लेआम के माज़ी से लौटे स्वर’, और संयुक्त परिवार के रोज़मर्रा में सिमटे रहते हैं काल के लम्बे साए। और सरहदें भी हैं जिन्हें लाँघकर यह कृति अनूठी बन जाती है, जैसे स्त्री और पुरुष, युवक और बूढ़ा, तन व मन, प्यार और द्वेष, सोना और जागना, संयुक्त और एकल परिवार, हिन्दुस्तान और पाकिस्तान, मानव और अन्य जीव-जन्तु (अकारण नहीं कि यह कहानी कई बार तितली या कौवे या तीतर या सडक़ या पुश्तैनी दरवाज़े की आवाज़ में बयान होती है) या गद्य और काव्य : ‘धम्म से आँसू गिरते हैं जैसे पत्थर। बरसात की बूँद।’

Author:

Geetanjali Shree

ISBN:

9789387462250

Binding:

Paperback

Publisher:

Rajkamal Prakashan

Language:

Hindi

Pages:

376

Year of Publication:

2022

Edition:

First

Condition:

New

Country of Origin:

India

About the Author

Geetanjali Shree, also known as Geetanjali Pandey, is a Hindi novelist and short-story writer based in New Delhi, India. She is the author of several short stories and five novels.

गीतांजलि श्री के चार उपन्यास — माई, हमारा शहर उस बरस, तिरोहित, खाली जगह — और चार कहानी-संग्रह — अनुगूँज, वैराग्य, प्रतिनिधि कहानियाँ, यहाँ हाथी रहते थे — छप चुके हैं। अंग्रेजी में एक शोध ग्रन्थ और अनेक लेख प्रकाशित हुए हैं।इनकी रचनाओं के अनुवाद भारतीय और यूरोपीय भाषाओं में हुए हैं।गीतांजलि थियेटर के लिए भी लिखती हैं। फेलोशिप, रेजिडेन्सी, लेक्चर आदि के लिए देश-विदेश की यात्राएँ करती हैं।

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